क्या ? हिमाचल में 15 साल पुरानी गाड़ियाँ कबाड़ बनेंगी या नहीं? पूरी जानकारी

🚗 हिमाचल में 15 साल पुरानी कार बनेगी कबाड़? पूरी सच्चाई, नियम, प्रक्रिया

🚗 हिमाचल में 15 साल पुरानी कार बनेगी कबाड़? जानिए पूरी सच्चाई और नियम

🔍 क्या सच में 15 साल पुरानी कारें होंगी जब्त या कबाड़?
कई खबरों/सोशल मीडिया पर चर्चा है कि हिमाचल प्रदेश में 15 साल पुरानी पेट्रोल या डीजल कारें सीधे कबाड़ घोषित होकर जब्त हो जाएंगी। दिल्ली में पुराने डीजल (10 साल) और पेट्रोल (15 साल) गाड़ियों पर सख्त बैन है, जबकि हिमाचल में अभी ऐसी कोई आयु आधारित पाबंदी नहीं है — यहाँ वाहनों का भविष्य फिटनेस और रजिस्ट्री पर निर्भर है। अफवाहों से बचें और हर अपडेट पाने के लिए अपने स्थानीय RTO या परिवहन विभाग से सत्यापित जानकारी लें।लेकिन, यह आधा सच-आधा अफवाह है — आइए जानते हैं असल नियम!

🧾 क्या कहता है नियम?

  • भारत सरकार की Vehicle Scrappage Policy 2021 के अनुसार:
    • 15 साल पुरानी कमर्शियल गाड़ियाँ और 20 साल पुरानी निजी गाड़ियाँ, अगर फिटनेस टेस्ट में फेल होती हैं, तो स्क्रैप घोषित होती हैं।
  • हिमाचल प्रदेश में 15 साल पुरानी निजी गाड़ियाँ तब तक कबाड़ नहीं मानी जातीं, जब तक वे फिटनेस टेस्ट पास करती हैं और रजिस्ट्रेशन रिन्यू होता है।
  • सरकारी गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन 15 साल बाद ऑटोमैटिक कैंसिल हो जाता है।
  • दिल्ली में 15 साल पुरानी पेट्रोल व 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियों पर सख्त प्रतिबंध है, पर हिमाचल में ऐसा कोई बैन नहीं है।
  • अब हिमाचल में भी RVSF स्क्रैप सेंटर (सोलन, हमीरपुर) शुरू हो चुके हैं।
  • 15 साल पुरानी गाड़ी स्क्रैप कर नई गाड़ी खरीदने पर टैक्स छूट (मार्च 2026 तक)।

कितनी बार हो सकती है गाड़ियों की रजिस्ट्रेशनक

  • हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन (आरसी) की रिन्यूअल की अधिकतम उम्र फिक्स नहीं है, बल्कि यह गाड़ी की फिटनेस पर निर्भर करती है। गाड़ी 15 साल तक फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ चल सकती है, और 15 साल के बाद भी अगर गाड़ी फिटनेस टेस्ट पास करती है तो हर 5 साल बाद उसका रजिस्ट्रेशन रिन्यू किया जा सकता है। हालांकि, हाल ही में हिमाचल सरकार ने 15 साल से पुरानी गाड़ियों के लिए अनिवार्य स्क्रैपिंग नीति लागू की है, जिसके तहत 15 साल से ऊपर की गाड़ियों की रजिस्ट्रेशन रद्द की जा सकती है और स्क्रैप सेंटर पर भेजना अनिवार्य होगा। प्रदेश में हर साल लगभग एक लाख गाड़ियों की फिटनेस टेस्टिंग होती है, जिससे सड़क सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।

1. दिल्ली बनाम हिमाचल: पुराने वाहनों पर नियम का फर्क

  • दिल्ली: 15 साल की पेट्रोल / 10 साल की डीजल गाड़ियां प्रतिबंधित।
  • हिमाचल: फिटनेस पास करें तो प्राइवेट गाड़ियाँ उम्र पार होने के बाद भी चल सकती हैं।

2. सरकारी बनाम प्राइवेट वाहन — डी.सी. नेगी के अनुसार

  • सरकारी वाहन: 15 साल बाद RC ऑटो-कैंसिल। स्क्रैपिंग अनिवार्य।
  • प्राइवेट वाहन: फिटनेस पास होने पर हर 5 साल में RC रिन्यू होती रहेगी।
  • रिन्यू शुल्क: लगभग ₹5,000 + ग्रीन टैक्स ₹1,500–₹5,000
  • 15 लाख से कम मूल्य की गाड़ी पर 6% रजिस्ट्रेशन फीस, उससे ऊपर 8%

3. बाहरी राज्यों की पुरानी गाड़ियाँ — हिमाचल में रजिस्ट्रेशन संभव?

  • हां! दिल्ली जैसे ईंधन-आधारित प्रतिबंध हिमाचल में नहीं लागू।
  • बशर्ते गाड़ी फिटनेस टेस्ट पास करे और कागजात सही हों, रजिस्ट्रेशन हो सकता है।

4. वाहन स्क्रैपिंग की प्रक्रिया (2024–2026)

  1. नजदीकी RVSF सेंटर (सोलन या हमीरपुर) जाएं।
  2. गाड़ी और डॉक्यूमेंट्स जमा करें।
  3. RC कैंसिल के साथ 7 दिन में Certificate of Deposit (COD) मिलेगा।
  4. नई गाड़ी खरीदने पर:
    • प्राइवेट वाहन: 25% टैक्स छूट
    • कमर्शियल वाहन: 15% टैक्स छूट

5. क्या वाकई 15 साल पुरानी गाड़ियाँ जब्त होती हैं?

  • निजी वाहन: फिटनेस पास करें तो कोई समस्या नहीं।
  • सरकारी वाहन: 15 साल बाद स्क्रैप करना अनिवार्य।
:
हिमाचल में 15 साल पुराने निजी वाहनों पर कोई सीधा प्रतिबंध नहीं है। अगर गाड़ी फिटनेस टेस्ट पास करती है और RC रिन्यू होती है, तो वह वैध रूप से चल सकती है। स्क्रैपिंग वैकल्पिक है — लेकिन उससे टैक्स में छूट मिलती है। अफवाहों से बचें और सही जानकारी रखें।
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